Monday, February 19, 2018

शादीशुदा चचेरी बहन - Shadisudha chacheri bahen

मैं गर्मी की छुट्टियों में मुम्बई गया था। मुम्बई में मेरी चाची
रहती हैं। वह वहाँ पर चेम्बुर में रहती हैं। मैं जब मुम्बई गया था
तब चाची के पास मेरी चचेरी बहन भी आई हुई थी। उसका नाम रीना है।
उसकी शादी हो चुकी है। उसकी उम्र चौबीस वर्ष की है। वो दिखने में
बहुत ही सेक्सी है। उसके कपड़े पहनने के ढंग और रहन-सहन भी बहुत
सेक्सी हैं। उसे कोई भी देखे तो उसका लण्ड खड़ा होना ही होना है।
एक दिन चाची को गाँव जाना पड़ा। वह गाँव चली गई। घर पर मैं और
रीना दीदी दोनों ही थे। उस दिन शाम को मैं बोर हो गया था, इसलिए
मैंने दीदी से कहा,”क्यों ना फिल्म देखने चलते हैं।” वह भी राजी
हो गई, और हम फिल्म देखने चले गए।
उस दिन हमने मर्डर फिल्म देखी। फिल्म में काफी गरम दृश्य थे।
फिल्म देखने के बाद हम घर आए। हमने रात का खाना खाया। रात काफ़ी
हो चुकी थी। आपको तो पता ही होगा, मुम्बई में घर बहुत छोटे होते
हैं। उस पर मेरी चाची एक कमरे के घर में रहती हैं। वहाँ सिर्फ एक
ही बिस्तर के बाद, थोड़ी और जगह बचती थी। अब हमें सोना था। सो
मैंने अपनी लुँगी ली और दीदी के सामने ही अपने कपड़े बदलने लगा।
मैंने मेरी शर्ट खोली, बाद में पैन्ट भी। मेरे सामने अब भी मर्डर
फिल्म के दृश्य घूम रहे थे, इसलिए मेरे लंड खड़ा था। वो अण्डरवियर
में तम्बू बना रहा था। मेरे पैन्ट निकालने के बाद मेरे लण्ड की
तरफ़ दीदी की नज़र गई, वह यह देखकर मुस्कुराई। मैंने नीचे देखा तो
मेरे अण्डरवियर में बहुत बड़ा टेन्ट बना हुआ था। मैं शरमाया और
मैंने मेरा मुँह दूसरी ओर घुमा लिया, फिर लुँगी बाँध ली।
पर लुँगी के बावज़ूद मेरे लंड का आकार नज़र आ रहा था। उस हालत में
मैं कुछ भी नहीं कर सकता था। फिर मैंने यह भी सोचा कि दीदी यह सब
देखकर मुस्कुरा रही है, उसे शर्म नहीं आ रही है, तो फिर मैं क्यों
शरमाऊँ? मैं बिस्तर पर जाकर सो गया। फिर दीदी ने आलमारी से अपनी
नाईटी निकाली और कमरे का दरवाज़ा बन्द कर लिया, उसने साड़ी उतारी।
वाऊ… क्या बद़न था। वह देखकर तो मैं पागल ही हो गया और मेरा लंड
उछाल मारने लगा। उसने अपनी ब्लाऊज़ निकाली और बाद में अपनी
पेटीकोट भी निकाल दी। वह मेरे सामने सिर्फ ब्रा और पैन्टी में
खड़ी थी। उसे उस हालत में देखकर तो मैं पागल ही हो रहा था। लेकिन
वह मेरी दीदी थी, इसलिए नियंत्रण कर रहा था। मुझे डर भी लग रहा था
कि मैं कुछ कर ना बैठूँ और दीदी को गुस्सा आ गया तो मेरी तो शामत
आ जाएगी। उसने नाईटी पहन ली। उसकी नाईटी पारदर्शी थी, जिसमें से
उसका सारा जिस्म नज़र आ रहा था। वह मेरे पास आकर सो गई।
हम दोनों एक ही बिस्तर पर सोए थे। लेकिन उस रात मुझे नींद नहीं आ
रही थी। मेरे सामने उसका नंगा जिस्म घूम रहा था। और उसके मेरे पास
सोने के कारण मेरा तनाव और बढ़ा हुआ था। लेकिन कुछ करने की हिम्मत
भी नहीं हो रही थी। आधे घंटे तक तो मैं वैसे ही तड़पता रहा। लेकिन
बाद में मैंने सोचा कि ऐसा मौक़ा बार-बार नहीं आने वाला। अगर तूने
कुछ नहीं किया तो हाथ से निकल जाएगा। मैंने सोच लिया थोड़ा रिस्क
लेने में क्या हर्ज़ है। और मैं थोड़ा सा दीदी की ओर सरक गया।
दीदी मेरी विपरीत दिशा में मुँह करके सोई थी। मैंने मेरा हाथ उनके
बदन पर डाला। मेरा हाथ दीदी के पेट पर था। मैंने धीरे-धीरे मेरा
हाथ उनके पेट पर घुमाना चालू किया। थोड़ी देर बाद मैंने अपना हाथ
उनकी चूचियों पर रखा। उसकी चूचियाँ काफ़ी बड़ी और नरम थीं। मैंने
उसकी चूचियाँ धीरे-धीरे दबानी चालू कीं। उसने कुछ भी नहीं कहा, ना
ही कोई हरक़त की। मेरी हिम्मत काफ़ी बढ़ गई। मैंने अपने लंड को
उसके चूतड़ पर दबाया और उसे अपनी ओर खींचा और फिर धीरे-धीरे मैं
अपना लंड उसके दोनों चूतड़ों के बीच की दरार में दबाने लगा। वह
मेरी ओर घूम गई।
मेरी तो डर के मारे गाँड ही फट गई। लेकिन वह भी मेरी ओर सरकी, तो
मेरा लंड उसकी चूत पर दब रहा था और उसकी चूचियाँ मेरी छाती पर।
मैं समझ गया कि वह सो नहीं रही थी, बस सोने का नाटक कर रही थी और
वह भी चुदवाना चाहती है। अब तो मेरे जोश की कोई सीमा ही नहीं थी।
मैंने उसे मेरी ओर फिर से खींचा, तो वह मुझसे थोड़ा दूर सरक गई।
मैं डर गया, और चुपचाप वैसे ही पड़ा रहा। थोड़ी ही देर बाद उसने
अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया और मसलने लगी। मैं बहुत खुश हुआ।
उसने अपने हाथों से मेरी लुंगी निकाल दी और अण्डरवियर भी, और मेरे
लंड को मसलने लगी। फिर उसने मेरे कान में कहा,”वीजू, तुम्हारा लंड
तो बहुत बड़ा है। तुम्हारे जीजू का तो बहुत छोटा है।” मैंने भी
दीदी की नाईटी निकाल दी और उनको पूरा नंगा कर दिया। फिर मैं उनके
ऊपर लेट कर उन्हें चूमने लगा। मैं उनके पूरे बदन को चूम रहा था।
वह सिसकियाँ भर रही थी। मैं उसे चूमते-चूमते उसकी चूत तक चला गया
और उसकी चूत पर अपने होंठ रख दिए। उसके मुँह से सीत्कार निकल गई।
फिर मैंने उसकी चूत में अपनी जीभ डालनी शुरु की, वह अपने चूतड़
उठाकर मुझे प्रतिक्रिया दे रही थी।
मेरा लंड अब लोहे जैसा गरम हो गया था। मैं उठा और उसकी छाती पर
बैठ गया और मैंने लंड उसके मुँह में डाल दिया। वह भी मेरा लंड
बड़े मज़े से चूसने लगी। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। मैंने बाद में
अपना लण्ड उसकी दोनों चूचियों के बीच में डाला और उसे आगे-पीछे
करने लगा। वाऊ… क्या चूचियाँ थीं उसकी, मैं तो पागल हुआ जा रहा
था। थोड़ी देर बाद उसने कहा,”वीजू, प्लीज़, अब रहा नहीं जाता, लंड
मेरी चूत में डाल दो और मुझे चोदो।” मैं उसके ऊपर फिर से लेट गया
और मैंने मेरा लंड हाथ में पकड़ कर उसकी चूत के ऊपर रखा और एक
ज़ोर का झटका दिया तो मेरा आधा लण्ड उसकी चूत में घुस गया। मैंने
दीदी से पूछा,”दीदी, तुम तो कह रही थी कि जीजू का लण्ड मेरे लण्ड
से काफी छोटा है, तो तुम्हारी चूत इतनी ढीली? एक ही झटके में आधा
लण्ड अन्दर चला गया।”
इस पर वह मुस्कुराई और बोली,”अरे वीजू, तुम्हारे जीजू का लण्ड
छोटा तो है, पर मेरी चूत ने अब तक बहुत से लण्ड का पानी चखा है।”
फिर मैंने दूसरा झटका दिया और मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत में चला
गया। फिर मैंने उसकी चुदाई शुरु कर दी। वह भी अपनी कमर उठाकर मेरा
साथ दे रही थी. उसके मुँह से आवाज़ें निकल रही थीं। वह कह रही
थी,”वीजू… चोदोओओओ… और ज़ोर से चोदोओओओओ… अपनी दीदी की चूत आज
फाआआआड़ डालो… ओह.. वीजू… डालो और ज़ोर से और अन्दर डालो….. बहुत
मज़ा आ रहा है।” उसकी ये बातें सुनकर मेरा जोश और भी बढ़ जाता और
मेरी रफ़्तार भी बढ़ती जा रही थी। फिर मैं झड़ गया और वैसे ही
उसके बदन पर सो गया और उसकी चूचियों के साथ खेलने लगा। उस रात
मैंने दीदी की ख़ूब चुदाई की।

शादीशुदा चचेरी बहन - Shadisudha chacheri bahen

मैं गर्मी की छुट्टियों में मुम्बई गया था। मुम्बई में मेरी चाची
रहती हैं। वह वहाँ पर चेम्बुर में रहती हैं। मैं जब मुम्बई गया था
तब चाची के पास मेरी चचेरी बहन भी आई हुई थी। उसका नाम रीना है।
उसकी शादी हो चुकी है। उसकी उम्र चौबीस वर्ष की है। वो दिखने में
बहुत ही सेक्सी है। उसके कपड़े पहनने के ढंग और रहन-सहन भी बहुत
सेक्सी हैं। उसे कोई भी देखे तो उसका लण्ड खड़ा होना ही होना है।
एक दिन चाची को गाँव जाना पड़ा। वह गाँव चली गई। घर पर मैं और
रीना दीदी दोनों ही थे। उस दिन शाम को मैं बोर हो गया था, इसलिए
मैंने दीदी से कहा,”क्यों ना फिल्म देखने चलते हैं।” वह भी राजी
हो गई, और हम फिल्म देखने चले गए।
उस दिन हमने मर्डर फिल्म देखी। फिल्म में काफी गरम दृश्य थे।
फिल्म देखने के बाद हम घर आए। हमने रात का खाना खाया। रात काफ़ी
हो चुकी थी। आपको तो पता ही होगा, मुम्बई में घर बहुत छोटे होते
हैं। उस पर मेरी चाची एक कमरे के घर में रहती हैं। वहाँ सिर्फ एक
ही बिस्तर के बाद, थोड़ी और जगह बचती थी। अब हमें सोना था। सो
मैंने अपनी लुँगी ली और दीदी के सामने ही अपने कपड़े बदलने लगा।
मैंने मेरी शर्ट खोली, बाद में पैन्ट भी। मेरे सामने अब भी मर्डर
फिल्म के दृश्य घूम रहे थे, इसलिए मेरे लंड खड़ा था। वो अण्डरवियर
में तम्बू बना रहा था। मेरे पैन्ट निकालने के बाद मेरे लण्ड की
तरफ़ दीदी की नज़र गई, वह यह देखकर मुस्कुराई। मैंने नीचे देखा तो
मेरे अण्डरवियर में बहुत बड़ा टेन्ट बना हुआ था। मैं शरमाया और
मैंने मेरा मुँह दूसरी ओर घुमा लिया, फिर लुँगी बाँध ली।
पर लुँगी के बावज़ूद मेरे लंड का आकार नज़र आ रहा था। उस हालत में
मैं कुछ भी नहीं कर सकता था। फिर मैंने यह भी सोचा कि दीदी यह सब
देखकर मुस्कुरा रही है, उसे शर्म नहीं आ रही है, तो फिर मैं क्यों
शरमाऊँ? मैं बिस्तर पर जाकर सो गया। फिर दीदी ने आलमारी से अपनी
नाईटी निकाली और कमरे का दरवाज़ा बन्द कर लिया, उसने साड़ी उतारी।
वाऊ… क्या बद़न था। वह देखकर तो मैं पागल ही हो गया और मेरा लंड
उछाल मारने लगा। उसने अपनी ब्लाऊज़ निकाली और बाद में अपनी
पेटीकोट भी निकाल दी। वह मेरे सामने सिर्फ ब्रा और पैन्टी में
खड़ी थी। उसे उस हालत में देखकर तो मैं पागल ही हो रहा था। लेकिन
वह मेरी दीदी थी, इसलिए नियंत्रण कर रहा था। मुझे डर भी लग रहा था
कि मैं कुछ कर ना बैठूँ और दीदी को गुस्सा आ गया तो मेरी तो शामत
आ जाएगी। उसने नाईटी पहन ली। उसकी नाईटी पारदर्शी थी, जिसमें से
उसका सारा जिस्म नज़र आ रहा था। वह मेरे पास आकर सो गई।
हम दोनों एक ही बिस्तर पर सोए थे। लेकिन उस रात मुझे नींद नहीं आ
रही थी। मेरे सामने उसका नंगा जिस्म घूम रहा था। और उसके मेरे पास
सोने के कारण मेरा तनाव और बढ़ा हुआ था। लेकिन कुछ करने की हिम्मत
भी नहीं हो रही थी। आधे घंटे तक तो मैं वैसे ही तड़पता रहा। लेकिन
बाद में मैंने सोचा कि ऐसा मौक़ा बार-बार नहीं आने वाला। अगर तूने
कुछ नहीं किया तो हाथ से निकल जाएगा। मैंने सोच लिया थोड़ा रिस्क
लेने में क्या हर्ज़ है। और मैं थोड़ा सा दीदी की ओर सरक गया।
दीदी मेरी विपरीत दिशा में मुँह करके सोई थी। मैंने मेरा हाथ उनके
बदन पर डाला। मेरा हाथ दीदी के पेट पर था। मैंने धीरे-धीरे मेरा
हाथ उनके पेट पर घुमाना चालू किया। थोड़ी देर बाद मैंने अपना हाथ
उनकी चूचियों पर रखा। उसकी चूचियाँ काफ़ी बड़ी और नरम थीं। मैंने
उसकी चूचियाँ धीरे-धीरे दबानी चालू कीं। उसने कुछ भी नहीं कहा, ना
ही कोई हरक़त की। मेरी हिम्मत काफ़ी बढ़ गई। मैंने अपने लंड को
उसके चूतड़ पर दबाया और उसे अपनी ओर खींचा और फिर धीरे-धीरे मैं
अपना लंड उसके दोनों चूतड़ों के बीच की दरार में दबाने लगा। वह
मेरी ओर घूम गई।
मेरी तो डर के मारे गाँड ही फट गई। लेकिन वह भी मेरी ओर सरकी, तो
मेरा लंड उसकी चूत पर दब रहा था और उसकी चूचियाँ मेरी छाती पर।
मैं समझ गया कि वह सो नहीं रही थी, बस सोने का नाटक कर रही थी और
वह भी चुदवाना चाहती है। अब तो मेरे जोश की कोई सीमा ही नहीं थी।
मैंने उसे मेरी ओर फिर से खींचा, तो वह मुझसे थोड़ा दूर सरक गई।
मैं डर गया, और चुपचाप वैसे ही पड़ा रहा। थोड़ी ही देर बाद उसने
अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया और मसलने लगी। मैं बहुत खुश हुआ।
उसने अपने हाथों से मेरी लुंगी निकाल दी और अण्डरवियर भी, और मेरे
लंड को मसलने लगी। फिर उसने मेरे कान में कहा,”वीजू, तुम्हारा लंड
तो बहुत बड़ा है। तुम्हारे जीजू का तो बहुत छोटा है।” मैंने भी
दीदी की नाईटी निकाल दी और उनको पूरा नंगा कर दिया। फिर मैं उनके
ऊपर लेट कर उन्हें चूमने लगा। मैं उनके पूरे बदन को चूम रहा था।
वह सिसकियाँ भर रही थी। मैं उसे चूमते-चूमते उसकी चूत तक चला गया
और उसकी चूत पर अपने होंठ रख दिए। उसके मुँह से सीत्कार निकल गई।
फिर मैंने उसकी चूत में अपनी जीभ डालनी शुरु की, वह अपने चूतड़
उठाकर मुझे प्रतिक्रिया दे रही थी।
मेरा लंड अब लोहे जैसा गरम हो गया था। मैं उठा और उसकी छाती पर
बैठ गया और मैंने लंड उसके मुँह में डाल दिया। वह भी मेरा लंड
बड़े मज़े से चूसने लगी। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। मैंने बाद में
अपना लण्ड उसकी दोनों चूचियों के बीच में डाला और उसे आगे-पीछे
करने लगा। वाऊ… क्या चूचियाँ थीं उसकी, मैं तो पागल हुआ जा रहा
था। थोड़ी देर बाद उसने कहा,”वीजू, प्लीज़, अब रहा नहीं जाता, लंड
मेरी चूत में डाल दो और मुझे चोदो।” मैं उसके ऊपर फिर से लेट गया
और मैंने मेरा लंड हाथ में पकड़ कर उसकी चूत के ऊपर रखा और एक
ज़ोर का झटका दिया तो मेरा आधा लण्ड उसकी चूत में घुस गया। मैंने
दीदी से पूछा,”दीदी, तुम तो कह रही थी कि जीजू का लण्ड मेरे लण्ड
से काफी छोटा है, तो तुम्हारी चूत इतनी ढीली? एक ही झटके में आधा
लण्ड अन्दर चला गया।”
इस पर वह मुस्कुराई और बोली,”अरे वीजू, तुम्हारे जीजू का लण्ड
छोटा तो है, पर मेरी चूत ने अब तक बहुत से लण्ड का पानी चखा है।”
फिर मैंने दूसरा झटका दिया और मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत में चला
गया। फिर मैंने उसकी चुदाई शुरु कर दी। वह भी अपनी कमर उठाकर मेरा
साथ दे रही थी. उसके मुँह से आवाज़ें निकल रही थीं। वह कह रही
थी,”वीजू… चोदोओओओ… और ज़ोर से चोदोओओओओ… अपनी दीदी की चूत आज
फाआआआड़ डालो… ओह.. वीजू… डालो और ज़ोर से और अन्दर डालो….. बहुत
मज़ा आ रहा है।” उसकी ये बातें सुनकर मेरा जोश और भी बढ़ जाता और
मेरी रफ़्तार भी बढ़ती जा रही थी। फिर मैं झड़ गया और वैसे ही
उसके बदन पर सो गया और उसकी चूचियों के साथ खेलने लगा। उस रात
मैंने दीदी की ख़ूब चुदाई की।

Sunday, February 18, 2018

छोटी बहन हिना ने अपना मूत मुझे पिलाया और लंड लिया

मेरा नाम राकेश है; और मेरी बहन का नाम हिना है; वो मुझसे छोटी है; मेरी उम्र २८ साल है; मेरी बॉडी टाईप एवरेज और कलर गोरा है; अब में आपको मेरी हिना के बारे में बता दूँ; उसकी उम्र २५ साल है; उसका फिगर साईज ३४-३२-३६ है; लम्बे बाल और कलर गोरा है.
दोस्तों मेरी बहन खूबसूरत है और उसकी बड़ी गांड जब वो जीन्स पहनकर चलती है और मटकती है; तो सब देखने वालो के लंड कड़क कर देती है.
वो बहुत सेक्सी और हॉट लड़की है. मेरी बहन हिना का जॉब इंटरव्यू दिल्ली में था; फिर में मेरी बहन हिना के साथ दिल्ली गया.
फिर शुक्रवार को सुबह दिल्ली पहुँचने के बाद में और मेरी बहन एक होटल में गये; और वहाँ हमने एक कमरा बुक करवाया; और फिर हम रूम में चले गये और कमरे में आकर हम तैयार होकर इंटरव्यू के लिए निकल गये.
फिर लौटते हुए हम दोनों घूमते हुए शाम के 7 बज चुके थे; अब बाज़ार के रोड़ पर बहुत सी गर्ल्स हॉट ड्रेस में अपने बॉयफ्रेंड के साथ खड़ी हुई थी.
अब में और हिना उनको घूर घूरकर देख रहे थे; फिर हम बस स्टॉप पर गये; अब वहाँ हम दोनों के अलावा कोई भी नहीं था.
अब बस आने में ५ मिनट बाकी थे; तो अब हम दोनों बातें कर रहे थे; फिर हम दोनों बस में बैठकर होटल आ गये; फिर हमने वही नीचे खाना खाया; और फिर अपने कमरे में चले गये; फिर हम दोनों ने कमरे में आकर चेंज किया और बेड पर बैठकर बातें करने लगे.
फिर मैंने टी.वी चालू किया और फिर हिना और में देखने लगे; कुछ देर में रूम की डोर बेल बजी और हिना ने दरवाज़ा खोला; तो वेटर ने एक पैकेट देकर कहा कि ये आप दोनों के लिए मैनेजर सर ने दिया है.
फिर उस बॉक्स को हिना ने मुझे दिया और कहा कि भैया इसमें क्या है? फिर मैंने बॉक्स के ऊपर देखा तो उसमें लिखा था ए गिफ्ट फॉर ए लवली एंड न्यू वेडिंग कपल; अब उसे देखकर हम दोनों खूब हँसे; अब हिना बेड के पास खड़ी थी और उसने सिल्क नाइटी पहन रखी थी; जिसमें उसका पूरा बदन और उसके उभार साफ़ दिखाई दे रहे थे.
अब वो काम देवी लग रही थी जो कह रही हो आओ मुझे अपनी बाहों में भरकर रातभर प्यार करो; और में बनियान और पजामे में था; अब मेरा लंड थोड़ा हार्ड हो रहा था; फिर हिना ने मुझसे कहा कि भैया यहाँ का मैनेजर तो मुझे आपकी वाईफ बनाकर ही छोड़ेगा; में हँसने लगा और बेड से खड़ा हो गया; फिर मैंने कहा कि तो इसमें कोई हर्ज़ है क्या?
फिर में हिना के पास गया और उसके सामने जाकर एक घुटने पर बैठकर बोला कि हिना मेरी प्यारी बहन आई लव यू; तुम बहुत सुंदर हो और में तुमसे कई दिनों से कहना चाह रहा था; अब मेरी बहन हिना तो जैसे शॉक ही रह गई; लेकिन उसने एक सेक्सी स्माइल दी और बोली कि स्वीट भैया आई लव यू टू मच; और मुझे हग कर लिया.
फिर मैंने भी उसे टाईट हग किया; फिर मैंने उस के नर्म मुलायम होंठो को अपने होंठो पर रखकर चूसा और उसके मुँह से निकलने वाली उसके थूक को पीने लगा; अब वो भी मेरी जीभ चाटने चूसने लगी; और मेरे सिर पर अपना हाथ फैरती रही; फिर मैंने उस की नाइटी को ऊपर किया और उसे उतारकर फेंक दी; अब वह बस पेंटी और ब्रा में थी; जिसमें उसका सेक्सी बदन और बहुत मादक लग रहा था.
फिर हिना ने मेरी बनियान और पजामा भी उतार दिया; और अब हम दोनों भाई बहन केवल अंडरगारमेंट्स में थे और एक दूसरे को हग कर रहे थे; अब हम दोनों बहुत गर्म हो गये; फिर हिना ने मुझे धक्का देकर अपने से अलग किया और बेड पर बैठने का इशारा किया तो में बेड पर बैठ गया.
अब मेरी बहन हिना मेरे सामने खड़ी थी और अपनी कमर धीरे हिला रही थी, वो बहुत सेक्सी लग रही थी; फिर उसने कहा कि भैया आज आपकी बहन आपके सामने आपकी प्रेमिका बनकर है; आज आपको अपनी बहन को बहुत चोदना है.
मैंने कहा कि हाँ मेरी प्यारी बहन; तो हिना ने कहा कि तो अपनी प्यारी बहन को भैया अपना लंड नहीं दिखाओगे?
अब मैंने ये सुनते ही अपना अंडरवेयर उतार दिया और अब मेरा लंड एकदम कड़क था और अपनी बहन को सलामी दे रहा था; फिर हिना ने कहा कि वाह भैया आपका लंड तो बहुत मोटा और बड़ा है.
फिर हिना ने हल्का डांस करना शुरू किया; और अब वो किसी पॉर्न स्टार की तरह अपनी कमर, बूब्स और गांड हिला रही थी; फिर उसने अपनी ब्रा उतारकर मेरे पास फेंक दी; ओहह मेरी बहन के बूब्स बहुत बड़े और सॉफ्ट थे; और उसके निपल्स भी भूरे और काफ़ी बड़े थे.
फिर हिना ने अपने बूब्स हिलाकर मुझे दिखाए और फिर अपनी पेंटी भी खोलकर मेरे पास फेंक दी; और फिर मुझे अपनी चूत दिखाने लगी; उसकी चूत एकदम क्लीन थी और उस पर एक भी बाल नहीं था; अब उसकी बड़ी गोल गांड देखकर तो मेरा पानी निकल ही गया; फिर हिना ने देखा कि मेरा वीर्य निकल गया है; तो वो बोली कि भैया अपनी बहन की जवानी देखकर ही छूट कर दी.
फिर वो मेरे पास आई तो मैंने उसे किस किया; उसके होंठो को चूमा और उसके बूब्स को मसलने लगा; अब हिना मस्त होती जा रही थी; और अब उसकी चूत से पानी बाहर आने लगा था; फिर मैंने हिना के बूब्स को अपने मुँह में लेकर चूसा; तो उसकी आहह निकलने लगी; अब वो मेरे सिर पर अपना हाथ फैर रही थी; और में उसके बूब्स चूस रहा था.
मैंने उसकी कमर पर किस करता हुआ उसकी चूत पर गया; फिर हिना ने कहा कि भैया आहह चाट लो अपनी बहन की चूत का पानी; अब में मेरी बहन हिना की चूत चाट रहा था; उसकी चूत का पानी बहुत नमकीन था, अब मुझे बहुत मज़ा आ रहा था; और मेरी हिना आहह ओह्ह यस औऊ होऊ ओह्ह ऊया फ्फ़ आहह कर रही थी; फिर में बेड पर बैठा और हिना का हाथ पकड़कर अपने लंड पर रख दिया; तो फिर वह मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी; अब उसने मेरा लंड लॉलीपोप की तरह अपने मुँह से चूसा था.
फिर करीब 20 मिनट तक ये सब करने के बाद हिना मेरी गोदी में बैठने लगी; तो अब मेरा पूरा लंड उस की चूत में चला गया; और फिर वो मेरे ऊपर उछलने लगी; अब उसके मुँह से लगातार सिसकियां निकल रही थी हह फक मी भैया हहह यस माआआ औउ आई ओह सूस यस्स चोदो और आहह फाड़ दो आज मेरी जवानी को हहह.
फिर ५ मिनट के बाद मैंने हिना को बेड पर लेटा दिया; और उसके ऊपर चढ़ गया; फिर मैंने उसकी चूत में अपना पूरा लंड डाल दिया; तो मेरी बहन हिना की चीख निकल गई आआ ऊस ओज्ज्ज ओह्ह ओह्ह हिईह ईउईइ आअहह माँ हहह और में जोर जोर से धक्के मारकर अपनी बहन को चोदने लगा; अब इस बीच हिना की चूत २ बार खाली हो गई थी; और मेरा पूरा लंड भीग चुका था.
फिर मैंने हिना की चूत में से अपना लंड बाहर निकालकर उसके मुँह में डाल दिया; और मेरी बहन मेरा लंड चूसने लगी; फिर मैंने कहा कि मेरी प्यारी बहन अपने भाई को अपनी गांड नहीं दिखाएगी; तो वह तुरंत घोड़ी बनकर बैठ गई और बोली कि लो भैया देख लो.
फिर मैंने देखा कि मेरी बहन की गांड का छेद बहुत बड़ा था; और अब मेरा मेरी बहन की गांड चाटने का मन था; और फिर में भी जोश में आ गया; हिना की गांड के छेद पर अपनी जीभ रखकर उसकी गांड चाटने लगा; आह उसका स्वाद मस्त सा था, लेकिन जोश में मुझे वो सब बहुत अच्छा लग रहा था; अब में हिना की गांड चाटे जा रहा था.
फिर हिना बोली कि भैया २ मिनट रूको, तो मैंने कहा कि क्या हुआ बहन मज़ा नहीं आया क्या? तो हिना ने कहा कि बहुत मज़ा आ रहा है मेरे भैया.
फिर वह अपनी गांड हिलाने लगी तो मैंने कहा कि आह मेरी जान तूने तो मज़ा ही ला दिया; फिर उस ने मुझे लेटने को कहा और खुद अपनी गांड के छेद को मेरे मुँह पर रखकर बोली कि भैया लो चाटो ना.
तो फिर में उस की गांड फिर से चाटने लगा और फिर उसने मेरे मुँह में ही मूत दिया; और फिर वो 69 की पोजिशन में आकर मेरा लंड चूसने लगी; अब उसकी चूत झड़ने लगी थी और अब मेरे लंड से भी वीर्य निकलने लगा था और फिर हम दोनों एक दूसरे के मुँह में ही झड़ गये.
अब हम दोनों बहुत थक गये थे; हम दोनों नंगे ही एक दूसरे की बाहों में ही सो गये. फिर हमने दिल्ली में ४ दिन और बिताए और इन दिनों में मैंने और हिना ने बहुत मज़े किए.

Saturday, January 20, 2018

पापा ने अपने लंड पर बैठ के सेक्सी मजा दिया

हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम निशा है और में दिल्ली की रहने वाली हूँ। मेरे घर में मेरे मम्मी, पापा और मेरे दादा, दादी है। में मेरे बाप की एक ही औलाद हूँ। मुझे मेरे माँ बाप ने बड़े प्यार से बड़ा किया है। आज मेरी उम्र 21 साल की है, लेकिन मुझे देखकर कोई कह नहीं सकता कि मेरी उम्र इतनी कम होगी, क्योंकि मेरा बदन बिल्कुल एक 24 साल की लड़की की तरह हो चुका है, मेरा फिगर साईज 34-28-36 है और इसकी वजह में खुद ही हूँ, जो 18 साल की उम्र से ही सेक्स की तरफ ज़्यादा ध्यान देने लगी थी और लगभग तब से में चूत में उंगली करने लग गयी थी।


मेरे घर में 5 रूम है, एक में मेरे मम्मी पापा और दूसरे में मेरे दादा दादी, जो अब 60 से ज्यादा उम्र के है और ज़्यादातर अपने कमरे में ही लेटे रहते है और तीसरे में में खुद रहती हूँ और बाकि के दो कमरे हम अलग-अलग कामों के लिए उपयोग में लेते है। मेरे पापा की उम्र 38 साल की है। मेरी माँ वैसे तो बहुत खूबसूरत है, लेकिन बहुत ही पुराने विचारो वाली एक साधारण औरत है, जो अपना ज़्यादातर वक़्त पूजा पाठ या अपने सास ससुर की सेवा में और घर के काम काज में गुजारती है। मेरे पापा जो एक बिजनसमैन है और अपना खुद का बिजनेस चलाते है। हम बहुत अमीर तो नहीं है, लेकिन हमारे घर में किसी चीज की कोई कमी नहीं है। मेरे पापा भी बहुत हैंडसम है, लेकिन मेरी माँ तो उन्हें टाईम ही नहीं दे पाती है, सिर्फ़ रात में जब उनके सोने का वक़्त होता है जब ही उनके पास जाती है।


यह बात तब की है, जब मेरी उम्र 18 साल की थी। एक रात हम सब खाना खाकर सोने के लिए अपने अपने रूम में चले गये थे कि तभी अचानक से मुझे लगा कि मेरे मम्मी पापा के रूम से लड़ने की आवाज़े आ रही है। मम्मी पापा का रूम मेरे रूम से ही लगा हुआ था, मुझे ज़िंदगी में पहली बार लगा था कि मम्मी पापा की लड़ाई हो रही है इसलिए में यह जानना चाहती थी कि वो लड़ क्यों रहे है? तो पहले तो मैंने सोचा कि में मम्मी से जाकर पूंछू, लेकिन फिर बाद में सोचा कि वो लोग मेरे सामने शर्मिंदा हो जाएगे इसलिए मैंने पूछना उचित नहीं समझा, लेकिन फिर भी मेरे मन में वजह जानने की इच्छा तेज होती गयी और जब मुझसे नहीं रहा गया तो मैंने उठकर देखने की कोशिश की। मेरे रूम में एक खिड़की थी, जो उनके कमरे में खुलती थी, वो खिड़की बहुत पुरानी तो नहीं थी, लेकिन उसमें 2-3 जगह छेद थे। फिर मैंने अपने रूम की लाईट ऑफ की और उस छेद में आँख लगा दी। अब अंदर का नज़ारा देखकर मेरे बदन में करंट सा दौड़ गया था।


अब मेरी मम्मी जो कि सिर्फ़ ब्रा और पेटीकोट में थी और बेड पर बैठी थी और मेरे पापा सिर्फ़ अपनी वी-शेप अंडरवेयर में खड़े थे और बार-बार मम्मी को अपनी ब्रा उतारने के लिए कह रहे थे और मेरी मम्मी उन्हें बार-बार मना कर रही थी। फिर मैंने देखा कि मेरे पापा की टाँगों के बीच में जहाँ मेरी पेशाब करने की जगह है, वहाँ कुछ फूला हुआ है। अब मेरी नजर तो बस वही टिक गयी थी और में चाहकर भी अपनी नजर हटा नहीं पा रही थी। अब वो लोग कुछ बात कर रहे थे, लेकिन मेरा ध्यान तो सिर्फ पापा की टाँगों के बीच में ही था और उनकी बातें सुनने का ध्यान भी नहीं था। अब मेरा दिल ज़ोर- ज़ोर से धड़क रहा था और मेरा बदन बिल्कुल अकड़ गया था और इसके साथ ही मुझ पर एक और बिजली गिरी और फिर मेरे पापा ने झटके से अपना अंडरवेयर भी उतार दिया। ओह गॉड मेरी तो जैसे साँसे ही रुक गयी थी। मेरे पापा की टाँगों के बीच में एक लकड़ी के डंडे की तरह कोई चीज लटकी हुई थी, जो कि मेरे हिसाब से 8 इंच लंबी और 3 इंच मोटी थी, उस चीज को क्या कहते है? मुझे उस वक़्त पता नहीं था।


फिर मेरी मम्मी उस चीज को देखकर पहले तो गुस्सा हुई और फिर शर्म से अपनी नजरे झुका ली। अब उन्हें भी मस्ती आने लगी थी और फिर उन्होंने इशारे से पापा को अपने पास बुलाया और उनके उस हथियार को प्यार से सहलाने लगी थी। फिर मम्मी ने अपनी ब्रा उतारी और अपने पेटीकोट का नाड़ा खोला और फिर बिल्कुल नंगी होकर सीधी लेट गयी और अपनी टांगे खोलकर पापा को अपनी चूत दिखाई और इशारे से उन्हें पास बुलाने लगी थी। फिर मेरे पापा कुछ देर तक तो गुस्से में सोचते रहे और फिर जैसे अपना मन मारकर उनके ऊपर उल्टे लेट गये और अपने एक हाथ से अपना लंड पकड़कर मम्मी की चूत में डाला और हिलते हुए मम्मी को किस करने लगे थे और फिर लगभग 10 मिनट तक हिलने के बाद वो शांत हो गये और ऐसे ही पड़े रहे।


फिर थोड़ी देर के बाद मम्मी ने उन्हें अपने ऊपर से हटाया और अपने कपड़े पहने और लाईट बंद करके सोने के लिए लेट गयी। अब कमरे में बिल्कुल अंधेरा होने की वजह से मुझे कुछ नहीं दिख रहा था, तो तब मैंने भी जाकर लेटने की सोची और फिर में भी अपने बिस्तर पर आकर लेट गयी, लेकिन अब मेरी आँखों के सामने तो मम्मी पापा की पिक्चर चल रही थी और पापा का वो भयानक हथियार पता नहीं मुझे क्यों बहुत अच्छा लग रहा था? अब मेरा दिल कर रहा था कि में भी उनके हथियार अपने हाथ में लेकर देखूं। उस रात मेरी चूत में बहुत खुजली हो रही थी। फिर मैंने उस रात पहली बार हस्तमैथुन किया। अब मेरे ख्यालों में और कोई नहीं बल्कि मेरे पापा ही थे। फिर जब मेरी चूत का रस निकला, तो तब में इतनी थक चुकी थी कि कब मेरी आँख लग गयी? मुझे पता ही नहीं चला। फिर सुबह मम्मी ने जब आवाज लगाई तो मेरी आँख खुली। फिर मम्मी बोली कि बेटा सुबह के 7 बज रहे है, स्कूल नहीं जाना है क्या? तो तब में उठकर सीधी बाथरूम में गयी और नहाने के लिए अपने कपड़े उतारे।


फिर तब मैंने देखा कि मेरी पेंटी पर मेरी चूत के रस का धब्बा अलग ही दिख रहा है। अब मेरी आँखों के सामने फिर से वही नज़ारा आ गया था। अब मुझे फिर से मस्ती आने लगी थी तो मैंने फिर से अपनी चूत में उंगली करनी चालू कर दी और तब तक करती रही जब तक कि में झड़ नहीं गयी। दोस्तों मुझे इतना मज़ा आया था कि में यह सोचने लगी कि जब उंगली करने में ही इतना मज़ा आता है तो सेक्स में कितना मज़ा आता होगा? और फिर में अपने पापा के साथ ही यह मज़ा लेने की सोचने लगी और सोचने लगी कि कैसे पापा के साथ मज़ा लिया जाए? खैर जैसे तैसे करके में स्कूल जाने के लिए तैयार हुई और ड्रेस पहनकर बाहर आई तो नाश्ते की टेबल पर मेरा पापा से सामना हुआ, में रोज सुबह पापा को गुड मॉर्निंग किस करके विश करती थी। तो तब मैंने उस दिन भी पापा को किस करके ही विश किया, लेकिन इस बार मैंने कुछ ज़्यादा ही गहरा किस किया और थोड़ा अपनी जीभ से उनके गाल को थोड़ा चाट लिया, जिससे मेरे पापा पर कुछ असर तो हुआ, लेकिन उन्होंने मेरे सामने ज़ाहिर नहीं किया था।


अब में उनके ठीक सामने जाकर कुर्सी पर बैठकर नाश्ता करने लगी थी और फिर नाश्ता करने के बाद में स्कूल की बस पकड़ने के लिए बाहर जाने लगी, लेकिन मेरा मन पापा को छोड़कर जाने का नहीं हो रहा था, तो तब में बाहर तो गयी, लेकिन कुछ देर के बाद वापस आकर मैंने बहाना बनाया की मेरी बस निकल चुकी है। अब ऐसी स्थिति में पापा मुझे स्कूल छोड़कर आया करते थे, तो तब मम्मी बोली कि जा पापा से कह दे, वो तुझे स्कूल छोड़ आएँगे। फिर में खुशी-खुशी पापा के कमरे में गयी। अब पापा सिर्फ़ अपने पजामे में थे। फिर मैंने पापा से कहा तो वो मुझे स्कूल छोड़ने के लिए राज़ी हो गये। अब पापा अपनी पेंट पहनने लगे थे। फिर मैंने उनके हाथ से पेंट लेते हुए कहा कि पापा पजामा ही रहने दीजिए, में लेट हो रही हूँ। तो तब पापा बोले कि ठीक है, में टी-शर्ट तो पहन लूँ, तू मेरा बाहर इन्तजार कर, तो में बाहर आकर इन्तजार करने लगी।


पापा मुझे ज़्यादातर स्कूल कार में ही छोड़ते थे, लेकिन उस दिन मेरे कहने पर उन्होंने मुझे हमारी एक्टिवा स्कूटर पर स्कूल छोड़ने के लिए गये। दोस्तों यहाँ तक तो मेरा प्लान सफल रहा था, लेकिन आगे के प्लान में थोड़ा खतरा था और मुझे यकीन नहीं था कि वो सफल हो जाएगा। फिर में उनके पीछे बैठ गयी और फिर हम स्कूल की तरफ चल दिए। मेरा स्कूल घर से लगभग 10 किलोमीटर दूर था, रास्ता लंबा था और सुबह का वक़्त था, तो रोड सुनसान थी। फिर जब हम घर से 2 किलोमीटर दूर आ गये, तो तब मैंने पापा से कहा कि गाड़ी में चलाऊँगी। तो तब पापा बोले कि बेटी तुझसे गाड़ी नहीं चलेगी, तो में तो ज़िद्द करने लगी। तो तब पापा परेशान होकर बोले कि ठीक है, लेकिन हैंडल में ही पकडूँगा। अब मुझे मेरा प्लान कामयाब होता दिख रहा था।


फिर तब मैंने कहा कि ठीक है और पापा ने गाड़ी साईड में रोककर मुझे अपने आगे बैठाया और मेरी बगल में से अपने दोनों हाथ डालकर हैंडल पकड़ा और धीरे-धीरे चलाने लगे। लेकिन अब गाड़ी चलाने में किसका ध्यान था? अब मेरा ध्यान तो पापा के पजामे में लटके उनके लंड पर था। तो तभी गाड़ी जैसे ही खड्डे में गयी, तो मैंने हिलने का बहाना करके उनका लंड ठीक मेरी गांड के नीचे दबा लिया। अब पापा कुछ अच्छा महसूस नहीं कर रहे थे। अब में अपनी गांड को उनके लंड पर रगड़ने लगी थी। अब गर्मी पाकर उनका लंड धीरे-धीरे खड़ा होने लगा था, जिससे मुझे भी मस्ती आने लगी थी। अब पापा को भी मज़ा आ रहा था और फिर इस तरह मस्ती करते हुए में स्कूल पहुँच गयी। फिर पापा को जाते वक़्त मैंने एक बार फिर से किस किया। अब पापा शायद मुझे लेकर कुछ परेशान हो गये थे और में मेरी तो पूछो मत, मेरी हालत तो इतना करने में ही बहुत खराब हो गयी थी और मेरी पेंटी इतनी गीली हो चुकी थी कि मुझे लग रहा था मेरी स्कर्ट खराब ना हो जाए। दोस्तों ये कहानी आप


फिर पूरे दिन स्कूल में मेरे दिमाग में पापा का लंड ही घूमता रहा और अब मेरा दिल कर रहा था कि में पापा के लंड पर ही बैठी रहूँ। अब पता नहीं मुझे क्या हो गया था? ऐसा कौन सा वासना का तूफान मेरे अंदर था कि में पापा से चुदने के लिए ही सोचने लगी थी। खैर आगे बढ़ते है, फिर में चुदाई की इच्छा और गीली पेंटी लेकर घर पहुँची। अब उस वक़्त लगभग 3 बज रहे थे। अब घर में दादा, दादी के अलावा कोई नहीं था, मम्मी कहीं गयी हुई थी और पापा अपने ऑफिस में थे। ख़ैर फिर में बाथरूम में गयी और गंदे कपड़ो में से पापा की अंडरवेयर ढूंढकर अपनी चूत पर रगड़ते हुए हस्तमैथुन किया। अब मुझे बहुत मज़ा आया था और फिर में सो गयी। फिर मेरी आँख खुली तो शाम के 5 बज रहे थे। फिर मैंने नहा धोकर कपड़े पहने और मैंने कपड़े भी उस दिन कुछ सेक्सी दिखने वाले पहने थे, मैंने एक शॉर्ट स्कर्ट और फिटिंग टी-शर्ट पहनी थी। अब पापा के आने का टाईम हो गया था, लेकिन मम्मी का कोई पता नहीं था।


फिर शाम के 6 बजे पापा ने घंटी बजाई तो में दौड़ती हुई गयी और दरवाजा खोला। फिर पापा मुझे देखकर थोड़े मुस्कुराए और मुझे गले लगाकर मेरे गालों पर किस करते हुए बोले कि बेटा आज तो बहुत स्मार्ट लग रही हो। अब मुझे इतनी खुशी हुई थी कि में पापा को फंसाने में धीरे-धीरे सफल होती जा रही थी। फिर अंदर आकर पापा ने चाय का ऑर्डर कर दिया तो में किचन में जाकर चाय बनाने लगी। फिर पापा भी फ्रेश होकर किचन में आ गये और इधर उधर की बातें करने लगे थे। फिर थोड़ी देर में पापा मेरी गोरी जांघो देखकर गर्म हो गये और मेरे पीछे खड़े होकर अपना लंड मेरी गांड से सटाने की कोशिश करने लगे थे। तब में भी अपनी गांड को उनके लंड पर रगड़ने लगी। अब मुझे तो ऐसा लग रहा था कि जैसे में जन्नत में हूँ और बस ऐसे ही खड़ी रहूँ।


ख़ैर अब चाय बन चुकी थी और फिर मैंने पापा से डाइनिंग रूम में जाकर बैठने को कहा और चाय वहाँ सर्व करके बाथरूम में जाकर फिर से उंगली करने लगी थी। फिर में झड़ने के बाद बाहर आई, तो तब तक मम्मी भी आ चुकी थी। मुझे मम्मी पर बहुत गुस्सा आया, क्योंकि मुझे पापा से अभी और मज़ा लेना था और मम्मी के सामने में कुछ नहीं कर सकती थी। अब पापा भी मम्मी के आने से थोड़े दुखी हो गये थे, क्योंकि ना तो वो कुछ करती थी और ना ही उन्हें कुछ करने देती थी। अब पापा मुझे देखकर बार-बार अपना लंड पजामे के ऊपर से ही सहला रहे थे और मुझे भी उन्हें सताने में बहुत मज़ा मिल रहा था। फिर खाना खाने के बाद पापा मुझसे बोले कि बेटी चल थोड़ा घूमकर आते है और मुझे लेकर घर के बाहर आ गये। फिर बाहर आकर उनका मूड चेंज हुआ और मुझसे बोले कि चल बेटा पिक्चर देखने चलते है। तो तब मुझे पापा पर इतना प्यार आया कि पापा मेरे साथ अकेला रहने की कितनी कोशिश कर रहे है? खैर फिर हम एक्टिवा पर सवार होकर एक सिनिमा में पहुँच गये और रास्ते में ही मम्मी को फोन कर दिया कि हम पिक्चर देखने जा रहे है। जब सिनिमा में कोई पुरानी मूवी लगी होने की वजह से ज़्यादा भीड़ नहीं थी, पूरे हॉल में लगभग 30-40 लोग ही होंगे।


अब मुझे पापा की समझदारी पर बहुत खुशी हुई थी, वो चाहते तो मुझे किसी बढ़िया पिक्चर दिखाने ले जाते, लेकिन उन्हें शायद कुछ ज़्यादा मज़े लेने थे। फिर उन्होने सबसे महेंगे टिकट लिए और फिर हम लोग बालकनी में जाकर बैठ गये। हमारा नसीब इतना बढ़िया चल रहा था की बालकनी में सिर्फ़ हमारे अलावा सिर्फ़ एक ही लड़का था, जिसकी उम्र लगभग 18 साल थी और वो भी आगे की सीट पर बैठ गया था। अब तो हम दोनों को और भी आराम हो गया था। फिर पिक्चर चालू हुई, लेकिन पिक्चर पर तो किसका ध्यान था? अब मेरा दिमाग तो पापा के लंड की तरफ था और पापा भी तिरछी नजर से मेरी छोटी-छोटी चूचीयों की तरफ देख रहे थे। अब बस शुरुआत करने की देर थी कि कौन करे? अब में तो पापा का स्पर्श पाने के लिए वैसे ही मरी जा रही थी और फिर उसी वक़्त जैसे बिल्ली के भागों छिका टूटा हो, मेरे पैर पर किसी जानवर ने काटा हो, में उउउइई करती हुई खड़ी हो गयी।


फिर तब पापा ने घबराते हुए पूछा कि क्या हुआ? तो तब मैंने बताया कि मेरे पैर पर किसी कीड़े ने काटा है। तो तब पापा बोले कि बैठ जा और अब काटे तो तुम मेरी सीट पर आ जाना। तो में बैठ गयी और फिर 5 मिनट के बाद फिर से उछलती हुई खड़ी हो गयी, लेकिन इस बार मुझे किसी ने काटा नहीं था बल्कि में जानबूझकर खड़ी हुई थी। खैर फिर पापा हंसते हुए बोले कि तू मेरी सीट पर आ जा। फिर तब में बोली कि पापा कोई बात नहीं जैसे उस कीड़े ने मुझे काटा है, ऐसे ही आपको भी काट लेगा। तो तब पापा बोले कि तू एक काम कर मेरी गोद में बैठ जा। अब में तो पहले से ही तैयार थी तो पापा के बोलते ही में उनकी गोद में बैठ गयी और पर्दे की तरफ देखने लगी थी। अब में उनकी गोद में बैठी हुई बिल्कुल छोटी सी लग रही थी, मेरी उम्र उस वक़्त 18 साल ही तो थी।


अब पापा मेरी गर्मी पाकर गर्म होने लगे थे। अब उनका लंड फिर से खड़ा होने लगा था। अब मुझे भी उनके लंड पर बैठना बहुत अच्छा लग रहा था, वैसे तो हमारी नजर पर्दे की तरफ थी, लेकिन ध्यान सिर्फ़ अपनी-अपनी टाँगो के बीच में था। अब मेरा तो बदन जैसे किसी भट्टी की तरह तप रहा था। अब मेरी स्कर्ट में मेरी चड्डी बिल्कुल गीली हो रही थी। अब पापा का लंड ठीक मेरी गांड के छेद पर था और पापा धीरे-धीरे मेरा पेट सहला रहे थे। अब मेरा मन कर रहा था कि पापा अपना लंड ज़ोर-ज़ोर से मेरी चूत पर रगड़ दे, लेकिन ऐसा नहीं हो सकता था, क्योंकि हम दोनों ही एक दूसरे से शर्मा रहे थे। खैर फिर कुछ देर तक ऐसे ही बैठे रहने के बाद मैंने अपने हाथ में पानी की बोतल थी वो नीचे गिरा दी और फिर उसको उठाने के लिए झुकी तो पापा का लंड बहाने से अपनी चूत पर सेट किया और फिर सीधी बैठकर मज़े लेने लगी। अब 1 घंटा 30 मिनट निकल गये थे और हमें पता ही नहीं चला कि कब इंटरवेल हुआ?


फिर पापा मुझे पैसे देते हुए बोले कि कैंटीन से जाकर कुछ ले आओ तो में बाहर गयी और कैंटीन से कुछ खाने की चीज़े खरीदी और फिर टॉयलेट में चली गयी और फिर जब तक वापस आई तो पिक्चर चालू हो चुकी थी। फिर मैंने पापा की गोद में बैठते हुए कहा कि पापा मुझे आपकी गोद में बैठने में ज़्यादा मज़ा आ रहा है। फिर तब पापा बोले कि तो फिर 1 मिनट रुक और बैठे हुए ही अपने लंड को सेट करने लगे थे। अब मुझे अंधेरे में कुछ नहीं दिख रहा था और फिर जब उन्होंने मुझे बैठने को कहा, तो उन्होंने अपना हाथ कुछ इस तरह से मेरी स्कर्ट पर लगाया कि मेरी स्कर्ट ऊपर हो गयी और में उनकी गोद में फिर से बैठ गयी। फिर थोड़ी देर के बाद मुझे अहसास हुआ कि पापा ने अपना लंड अपनी पेंट में से बाहर निकाल रखा है और इस अहसास के साथ ही जैसे मेरे बदन ने एक तगड़ा झटका लिया और अब मेरा भी मन अपनी चड्डी उतारकर पापा का लंड मेरी चूत से चिपकाने का करने लगा था।


फिर उसके लिए मैंने फिर से एक प्लान बनाया और मेरे हाथ में कोल्डड्रिंक का जो गिलास था, उसे अपनी जांघों पर उल्टा दिया तो सारी कोल्डड्रिंक मेरे पैरो और चड्डी पर गिर गयी, तो तब पापा चौंकते हुए बोले कि यह क्या किया? तो तब मैंने कहा कि सॉरी पापा गलती से हो गया, में तो पूरी गीली हो गयी और मेरे कपड़े भी गीले हो गये। तो तब कपड़ो का मतलब समझते हुए पापा बोले कि जा और टॉयलेट में जाकर साफ कर आ और कपड़े ज़्यादा गीले हो तो उतारकर आ जाना, जल्दी सूख जाएँगे। अब मेरा मन पापा को छोड़ने का नहीँ था, तो मैंने वहीं खड़े होकर मेरी चड्डी उतारी और दूसरी सीट पर रखी और फिर से पापा के लंड पर बैठकरपापा के लंड को अपनी दोनों टाँगों के बीच में ले लिया। अब उनका लंड बिल्कुल मेरी चूत पर था। अब मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई गर्म लोहे की रोड मेरी जांघों में दबी पड़ी है। अब तो मेरा मन कर रहा था कि जल्दी से पापा अपना लंड मेरी चूत में डालकर ज़ोर से रगड़ दे, लेकिन हम ऐसा नहीं कर सकते थे।


अब मेरी बारी थी। फिर मेरा मन अपनी चूत को उनके लंड पर रगड़ने का हुआ तो तब में अपनी चड्डी उठाने के लिए झुकी और ज़ोर से अपनी चूत पापा के लंड पर रगड़ दी और फिर ऐसे ही 3-4 बार ज़ोर से रगड़ी, तो तब मुझे ऐसा लगा कि जैसे मेरा पानी निकल जाएगा। अब में कभी किस बहाने से तो कभी किस बहाने से हिलती और अपनी चूत पापा के लंड पर रगड़ देती थी। अब पापा समझ गये थे कि मेरा मन रगड़ने का हो रहा है। तब पापा ने मेरे पेट पर अपना एक हाथ रखकर दबाया और अपना जूता खोलने के बहाने से कभी खुजाने के बहाने से अपना लंड रगड़ने लगे थे। फिर कुछ ही देर में मुझे लगा कि जैसे मेरे जिस्म में से सारा खून फटकर मेरी चूत में से निकलने वाला है और फिर इसी के साथ मेरा पानी झड़ गया। अब में बिल्कुल ठंडी हो चुकी थी, लेकिन पापा ने 2-3 बार और अपना लंड रगड़ा और फिर पापा भी जैसे अकड़ से गये और उनका भी पानी निकलकर मेरी चूत और मेरे पेट पर फैल गया।


अब हम दोनों बिल्कुल शांत थे और बहुत थक गये थे। फिर 5 मिनट के बाद ही पिक्चर ख़त्म हो गयी और लाईट जलती इससे पहले ही मैंने अपनी चड्डी यह कहते हुए पहन ली कि अब वो सूख चुकी है। अब दोनों पिक्चर ख़त्म हो चुकी थी एक जो पर्दे पर चल रही थी और एक जो हम बाप बेटी के बीच में चल रही थी। फिर थोड़ी देर के बाद लाईट जली और फिर हम दोनों हॉल से बाहर निकले। फिर बाहर आकर पापा मुस्कुराते हुए बोले कि पिक्चर कैसी लगी? तो तब मैंने जवाब दिया कि इससे बढ़िया पिक्चर मैंने आज तक नहीं देखी, तो तब पापा बोले कि मेरे साथ घूमा करेगी तो और भी बढ़िया चीज़े देखने को मिलेंगी और फिर में मस्कुराती हुई गाड़ी पर बैठ गयी और फिर हम घर की तरफ चल पड़े ।