Friday, March 17, 2017

चचेरी बहन के साथ सेक्स - Chacheri bahan ke saath sex

मैं पहली बार अपना एक्शपेरियांस शेयर करने जा रहा हूँ। ये बिल्कुल ही सच्ची कहानी है मेरी चचेरी बहन गाव अपनी पढ़ाई के लिए हमलोगो के पास शहर मे आई। उस समय वो इंटेर मे दाख़िले की आई थी और मैं graduation मे था। हमलोग शूरू से शहर में रहते थे। मेरे पिताजी सरकारी नौकरी मे थे। मैं घर मे सबसे छोटा हूँ। मेरी बहन मुझसे छोटी थी क़रीब 5 साल। शूरू मे तो ऐसा कोई ख़्याल नही आया, मगर धीरे धीरे मन सेक्श की तरफ़ होने लगा। हूम लोगो का कमरा छोटा था और हमलोग सब एक ही बेद पैर सोते थे। 

मैं अक्सर अपनी बहन के बगल मे सोया करता था। रात मे सोते समय मेरे हाथ उसके पेट को छूते थे। मुझे तो आकर्षन महसूस होता था मगर उसके बारे मे मुझे कुछ पता नही चल पाता था। एक दिन मैने उसके स्तन को छ्होआ तो उसने तोड़ा ओप्पोस किया मैने तुरण अपना हाथ हटा लिया। फिर मैने एक बार कोशिश की लेकिन फिर से हटा दिया मगर कुछ बोला नही मुझे भी डर लग रहा था क्योंकि मेरी मा और मेरी अपनी दोनो बहन भी बगल मे सोई हुई थी।
दूसरे दिन मैने फिर से कोशिश की इस बार मैने उसके स्तन को तोड़ा ज़ोर से प्रेस किया इस बार उसकी थोड़ी सहमति थी मैने धीरे धीरे काफ़ी देर तक प्रेस किया शायद उसे भी आनंद आ रहा था। ये कारकरम काफ़ी दीनो तक चला। एक दिन उसने मुझसे पूछा की आप ऐसा क्यों करते है तो मैने बोला की क्यों तुम्हे पसंद नही है तो उसने कहा नही ऐसी कोई बात नही मगर किसी को पता चलेगा तो क्या होगा, तब मैने कहा किसी को पता नही चलेगा। तुम साथ दो तो कुछ नही होगा। फिर उसने हा भरी। 
अब हम लोग घर मे किसी के नही रहने का इंतेज़ार करने लगे और ये मौक़ा भी हमे जल्द ही मिल गया और मैने कहा की अब मैं कुछ और टेस्ट करना चाहता हूँ तो उसने पूछा क्या तो मैने कहा मैं तुम्हरा स्तन देखना चाहता हूँ उसने पहले तो मना किया फिर थोड़ी देर मे हामी भर दी तो मुझे ग्रीन सिग्नल मिल गया और फिर मैने धीरे से से उसके सलवर को उपर किया और उसके ब्रा को उपेर किया तो देखů की दो गोल गोल स्तन मेरे सामने थे जो की मैने पहले कभी नही देखा था और फिर मैने अपने दोनो हाथों से उसको दबाना शूरू कर दिया शायद उसे भी अच्छा लग रहा था और वो ज़्यादा ही excited हो रही थी।

मगर पता नही उसे काफ़ी डर लग रहा था और हिम्मत नही जुटा पा रही थी काफ़ी समझाने के बाद उसे बिस्वास हो गया और उसने हामी भर दी और हमलोग एकांत क्स इंतेज़ार करने लगे और एक दिन हमे मौक़ा मिल गया जब मेरी मा और बहन बाज़ार गये और हम दोनो घर मे अकेले थे तब मैने कहा क्यों ना अपनी ज़िंदगी की प्यास भुझा ले उसने दबी ज़ुबान मे हा कही और फिर मैने धीरे धीरे उसके सलवार और पायज़मा को खोला अब वो ब्रा और पनती मे मेरे सामन थी उसका बदन तो मानो आपसरा का बदन लग रहा था और शर्मा रही थी और अपने चेहरे को अपनी हाथों से धके हुई थी फिर मैने धीरे से अपने कपरे को उतरा और उसके स्तन को धीरे धीरे दबाना शूरू किया शायèा उसे अच्छा लग रहा था अब मैने उसके ब्रा को खोल दिया और मेरे सामने उसके संटरे जैसे दो चीज़ आ गयी और मैने अपने मुह से उसके स्तन को चूसना शूरू किया ये अहसास उसे अच्छा लग रहा था और वो ज़यादा excited हो रही थी और मैं भी अब काफ़ी excited होने लगे।
फिर मैने उसके पनती को उतार दिया अब मेरे सामने मानो जैसे दुनिया की सबसी बड़ी चीज़ नज़र आ रही थी क्योंकि अभी तक मैने किसी भी लड़की को ऐसे नही #2342;ेखा था। अब मैने अपने लंड को उसके मुह मे दे दिया। पहले तो उसने मना किया काफ़ी मनाने के बाद वो मान गयी और मेरे लंड को चूसना शूरू कर दिया मैं तो मानो की सातवे आसमान मे सफ़र कर रहा था वो अहसास का बयान मैं नही कर सकता की मैं कैसा महसूस कर रहा था। उसके चूसने से मेरा लंड काफ़ी tight हो गया और मैने इसे उसके बूर मे धीरे धीरे डालना शूरू किया उसे काफ़ी तकलीफ़ महसूस हो रही थी। 
पहलीबार किसी मर्द क्स लंड उसके बूर मे जो जा रहा था। मैने उसकी तकलीफ़ को समझते हुए धीरे धीरे लंड को अंदर डाला अब तो उसे भी मज़ा आने लगा और थोड़ा ऊऊऊ आआआ ईईई के आवाज़ के साथ वो पूरा मज़ा लेना चाहती थी और मैं भी इस मौक़े को छोड़ना नही चाहता था और हमलोगो ने क़रीब 1 घंटे तक अपनी जवानी का मज़ा लिया लेकिन इसके बाद हमलोग की चाहत बढ़ती गयी और हमलोग रात मे भी ये काम सबसे बचाते हुए करने लगे और घर मे कोई ना हो तो फिर क्या कहना। इस तरह से हमलोगो ने क़रीब 7 साल तक अपनी जवानी का मज़ा लेते रहे। अब उसकी शादी हो चुकी है मगर मैं अभी भी कुवारा हूँ और उन दीनो के बारे मे सोचकर आज भी दिल रोमांचित हो जाता है।
फिर काफ़ी दीनो तक चलता रहा मगर असली प्यास अभी नही बुझी थी और मेरा मन उसको चोदने को करने लगा। एक दिन मैने कहा की ये सब काफ़ी हो गया क्यों ना ज़िंदगी की असली मज़ा लिया जाए तो उसने कहा कया तो मैने कहा ज़िंदगी की सुख तो चोदै मे ही हैं जो कर आदमी और औरत की ज़रूरत है तब उसने कहा इसमे कोई रिस्क तो नही मैने कहा नही सावधानी के साथ करेंगे। 

Saturday, March 4, 2017

पति से चुदवाया - Hindi font sex story

आज जो बताने जा रही हूँ वो जान कर आपका मन भी सेक्स के लिये तड़प जायेगा।
आप सब को पता है कि मेरी शादी हो चुकी है। मेरे पति (अमित) मुझे बहुत प्यार करते है। फिर भी कभी कभी मन मचल जाता है कुछ नया करने के लिये। इस बार मन था अपने पति को कुछ नया दिखाने का। पर समझ में नहीं आ रहा था कि क्या किया जाये।
अमित के आफ़िस चले जाने के बाद कुछ न कुछ सोचती रहती। अचानक एक विचार मन में आया कि क्यों न पतिदेव को कुछ सरप्राईज दिया जाए। बस मन इसी दिशा में काम करने लगा। वो कहते हैं ना कि जहाँ चाह वहाँ राह। जल्दी ही मेरी मुलाकात एक नेट फ़्रेंड कनिका से हो गई जो मेरी तरह खुले विचारों की थी। हम मेल के द्वारा एक दूसरे से बात करने लगे, सेक्स को लेकर बातें होती। मैं अपने सेक्स के बारे में उसे बताती। मैंने महसूस किया वो शायद सेक्स के बारे में बात करते करते उत्तेजित हो जाती थी।
जैसे वो अकसर सेक्स के बारे में बात करते वक्त गरमी महसूस करती। मुझे लगा बात बन जायेगी।
एक दिन बातों बातों में पूछ लिया कि वो किस तरह का सेक्स पसंद करती है।
वो बोली- ऐसा सेक्स जिसमें सब कुछ भूल जाएं।
मैंने पूछा कि क्या वो मुझ से ट्रेंनिग लेना पसंद करेगी?
तो वो खुश हो कर बोली- क्यों नहीं।
मेरी योजना का पहला चरण पूरा हो चुका था।
हम योजना बनाने लगे कि कब मिलेंगे और क्या क्या करेंगे।
आखिर वो दिन आ गया। अमित कहीं काम से बाहर जाने वाले थे और देर रात तक वापिसी थी। मैंने कनिका को बताया कि मैं दो दिन अकेली हूँ।
कनिका शाम तक घर आ गई। उसके आते ही मैंने उसे गले लगा लिया और उसके गालों पर एक चुंबन जड़ दिया। मैंने देखा कनिका के गाल लाल हो गये थे पर वो शर्म के मारे कुछ ना बोली।
हम बैड पर बैठ कर बातें करने लगे। मैंने बात करते करते उसका हाथ पकड़ लिया। वो अचानक चुप हो गई और मेरी आखों में देखने लगी। मैंने देर न करते हुए उसके होठों को चूम लिया। उसने अपनी आंखें बंद कर ली और अपने होंठों को खोल दिया।
मैंने अपनी जुबान उसके मुँह में डाल दी और अंदर बाहर करने लगी।
वो मेरा पूरा साथ देने लगी। मेरी जुबान को जोर जोर से चूस कर सारा रस अंदर लेने लगी। हमारी सांसें एक दूसरे में समा रही थी। मैंने उसे चूमते हुए बैड पर लिटा दिया। उसके ऊपर आकर उसका चेहरा पकड़ कर उसके दोनों होंठों को मुँह में ले कर अच्छी तरह चूसा।
मेरे पूरे बदन में गुदगुदी सी होने लगी। अगले दो मिनट में हम दोनों के जिस्म नंगे थे। मैं उसके ऊपर आ गई और हमारे नंगे जिस्म एक दूसरे के साथ रगड़ खाने लगे। मैं फ़िर बेतहाशा उसके गुलाबी होंठों का मजा लेने लगी। मेरी योनि में से रस निकल कर उसकी योनि में समा रहा था। मेरे दोनों हाथ उसके मम्मों को तकरीबन कुचल रहे थे। फ़िर धीरे से मैंने अपना हाथ नीचे लिया और उसकी चूत पर रख दिया। उसकी चूत की पखुड़ियाँ हम दोनों के रस से भीग चुकी थी।
मैंने अपनी एक ऊंगली झटके से अंदर डाल दी। उसके मुँह से एक जबरदस्त आह निकली और उसने मेरे होठों को अपने मुँह में ले लिया। मैं अपनी ऊंगली से उसे चोदने लगी। उसने अपनी टांगें फ़ैला दी। पूरा रास्ता मिलने पर मैंने दो उंगलियाँ घुसा दीं। पांच मिनट तक चोदने के बाद मैंने वो भीगी हुई उंगलियाँ उसके मुँह में दे दी। वो अपना रस ऐसे चाट रही थी जैसे कब की प्यासी हो।
अब तक मेरी हालत खराब हो चुकी थी। मैंने अपना दायां मम्मा उसके मुँह में दे दिया। जैसे जैसे वो चूस रही थी मेरी चूत की खुजली बढ़ती जा रही थी। मैंने उसकी टांगें खोल कर अपनी चूत को उसकी चूत के साथ रगड़ना शुरु कर दिया। उसकी आँख़ें बंद थी होंठ खुले। मेरे होंठ उसके होंठों के बिल्कुल ऊपर। अचानक मेरे खुले होंठों से रस उसके मुँह में लार की तरह गिरने लगा। उसने अपना मुँह पूरा खोल लिया और सारा रस पीने लगी। मैं एकदम से उठी और अपनी चूत उसके मुँह से टिका दी।
उसने मेरी चूत को चाटते हुए अपनी गर्म जुबान अंदर घुसा दी। मेरी चूत में जैसे आग लग गई। मैं आगे पीछे हो कर उसके मुँह पर अपनी चूत रगड़ने लगी। मेरे सिसकारियों से वो और जोश में आ गई और अपनी एक उंगली मेरे पीछे डाल दी। मैं अपने चरम तक पहुँचने वाली थी। मुझे लगा मेरा पेशाब निकल जाएगा। मैंने कनिका को यह बताया और उसे हटाने की कोशिश की।
पर वो बोली- आज तो जो निकला पी जाऊंगी।
सेक्स उसके सिर चढ़ कर बोल रहा था। मैंने भी अपनी टांगें खोल कर उसके मुँह पर टिका दी। एक गुदगुदी के साथ गरम पेशाब की धार सी निकली और धीरे धीरे कनिका के मुँह में समाने लगी। मैंने देखा वो गटागट मेरा पेशाब पी रही थी। मैं भी जैसे एक एक बूंद उसके मुँह में निचोड़ देना चाहती थी। मैंने देखा उसने एक बड़ा सा घूंट भर लिया और उठ कर बैठ गई। मैं समझ नहीं पाई कि वो क्या करना चाहती है।
मेरे कुछ सोचने से पहले उसने होंठ मेरे मुँह से लगा दिया और मुँह में भरा हुआ सब कुछ मेरे मुँह में डाल दिया। न चाहते हुए भी मैं अंदर गटक गई। कुछ कड़वा और नमकीन सा स्वाद था। पर सेक्स के नशे में सब अच्छा लगता है। एक जोरदार चुंबन के बाद फिर से उसने मेरी चूत में अपनी जीभ घुसा दी। मेरे मुँह से निकल रही आहें उसका जोश बढ़ा रही थी। मेरे दाने पर उसकी फिसलती जीभ मुझे जन्नत की तरफ ले गई और मैं जोरदार आह के साथ झड़ गई।
मैं कुछ थक गई थी पर अभी उसकी बारी थी। मैंने पूरे जोश में उसे उल्टा बैड पर गिरा दिया और उसकी गोरी गोल गोल गांड सहलाने लगी।
वो बोली- सोनिया, काश कोई लड़का भी इस वक्त हमारे साथ होता तो वो गांड को चोदता और मैं तुम्हारी चूत चाटती।
मैंने मन ही मन सोचा- यही तो मैं भी चाहती हूँ। मैंने उसकी गांड पूरी खोल कर अपनी जीभ को उस पर रगड़ना शुरू कर दिया। कनिका की गांड से आ रही महक मुझे पागल कर रही थी। मैंने अपनी जीभ एकदम से अंदर घुसा दी। वो अपनी गांड हिला हिला कर मेरा साथ देने लगी। कुछ देर चाटने के बाद मैंने उसकी चूत में अपनी दो उंगलियाँ डाल दी और उसके दाने को चूसने लगी। उसकी चूत का रस मेरी उंगलियों और होठों पर लग रहा था।
इस सबके बीच हम दोनों को पता ही नहीं लगा कि खुले दरवाजे से मेरे अमित न जाने कब अदंर आ गए। वो अपना लंड निकाल कर हिला रहे थे।
मैं उन्हें देखकर मुस्कुराई और मुझे अपनी योजना कामयाब होती नजर आई। कनिका अभी भी आंखें बंद करके लेटी थी। मैंने इशारे से अपने पति को पास बुलाया और कनिका की गांड खोल कर आंख मारी। मेरे पति समझ गए और अपना गर्म लंड उसकी गांड के छेद पर टिका दिया।
इससे पहले कनिका कुछ समझ पाती, लंड फिसलता हुआ उसकी गांड में घुस गया। कनिका चिहुंक उठी और घबरा कर पीछे देखने लगी।
मैं अभी भी मुस्कुरा रही थी। कनिका के मुँह पर असमंजस के भाव थे। मैं कनिका के पास लेट कर बोली- देख तेरी ख्वाहिश इतनी जल्दी पूरी हो गई।
और उसके होठों को अपने मुँह में ले लिया। मेरे हाथ उसके पूरे बदन पर चलने लगे।
एक दो मिनट की हिचकिचाहट के बाद वो सारा माजरा समझ गई और बोली- पहले बताती तो हम जीजू को साथ लिटा कर सेक्स करती।
मैंने बोला- अब कर ले।
मेरे इतना कहते ही वो सीधा लेट गई और अपनी दोनो टांगें फैला कर बोली- जीजू, आज मेरी चूत फाड़ दो, मैं आज पूरा मजा लेना चाहती हूँ।
अमित तो पहले ही तैयार थे, झट से अपने सारे कपड़े उतार डाले और अपना छ: इन्च का मोटा लंड मेरी प्यारी सहेली की चूत में डाल दिया। कनिका ने मुझसे ऊपर आकर अपनी चूत चटवाने को कहा। मैंने फिर से अपनी गुलाबी चूत उसके होठों पर टिका दी।
वो मजे ले कर चूस रही थी और अमित अपने लंड के जोरदार झटकों से उसकी चूत का कीमा बना रहे थे। मेरी चूत में फिर से गुदगुदी हो रही थी। कनिका ने अपनी एक उंगली मेरी गांड में डाल दी और अंदर-बाहर करने लगी।
साथ साथ कनिका अपने दाने को रगड़ रही थी। करीब पंद्रह मिनट की जोरदार चुदाई के बाद कनिका का पूरा शरीर जोर से कांपा और उसने अपने होंठ मेरी चूत से हटा लिये। उसके मुँह से निकल रही तेज सांसें बता रही थी कि वो झड़ गई थी। पर अमित अभी भी उसे चोद रहे थे। मैंने अमित को इशारे से रुकने को कहा और नीचे लेट गई। अब अमित मुझे चोद रहे थे और कनिका मेरे मम्मे चूस रही थी।
मैंने कनिका से पूछा कि क्या वो अपना रस मुझे नहीं पिलाएगी तो कनिका मेरे ऊपर अपनी चूत टिका कर घुटने के बल हो गई।
अब मैं कनिका की चूत और गांड पागलों की तरह चाट रही थी। उसकी चूत से निकल रहा गर्म रस मुझे मदहोश कर रहा था।
अचानक अमित बोले- मैं झड़ने वाला हूँ।
मैं और कनिका दोनों उठ कर उनके लंड के आगे बैठ गई। अमित हाथ से अपने लंड को हिलाते हुए चरम पर पहुंच रहे थे। एक दम वीर्य की मोटी पिचकारी सी छूटी और कनिका और मेरा मुँह उससे भीग गया। कमल एक एक बूंद निचोड़ रहे थे। मैंने अमित का लंड हाथ में लिया और चूसने लगी। कनिका ने भी साथ देना शुरू किया और फिर मैंने और कनिका ने एक दूसरे को चूमा।
मैं अभी झड़ी नहीं थी। अमित के कहने पर मना कर दिया और उन दोनों से वादा लिया कि वो दोनों रात भर मुझे चोदेंगे।

Thursday, March 2, 2017

शादी - Hindi font sex story

मेरा नाम समीर है । मैं ३६ साल का नौजवान हूँ. सुंदर लड़की को देखकर मुझे अच्छा लगता है. छोड़ने की इच्छा हो जाती है. मन करता है उसके नर्म नर्म गालों को चुन लूँ और उसके होठों को चूस लूँ. अपनी बाहों में भरकर उसकी चुचियों को दबा दूँ और अपने लुंड को उसके बुर में दाल कर छोड़ डालूँ. शादियों के दिन थे और शादी का माहौल था. मेरे तीसरे छोटे सेल की शादी थी और हमलोग ससुराल में इकठ्ठा हुए. काफ़ी लोग होने की वजह से हर कमरे में कई लोगों का इन्तेजाम था. मेरी सलेज यानी पहले सेल की बीवी का नाम था सरला. गहुआ रंग, भरा हुआ बदन, ३४ २६ ३४ के आन्करे जैसा, गदराई जवानी और गज़ब की sundar. इच्छा करती की दबोच कर बस चबा ही डालूँ. इठलाती हुई जब चलती अपनी सारी को सामने हाथ से छूट के पास संभालती हुई तब मन करता की बस इसकी गर्म छूट को क्यों न मैं ही पकड़ लूँ और मसलता रहूँ. सारी से वोह अपनी मस्त और तनी हुई चुचियों को भरसक दहकती रहती लेकिन वोह बगल से ब्लौसे के मध्यम दीखता रहता. झुकी हुई निगाहों से देखती और मुस्करा देती. हमारा लौदा और खड़ा हो जाता. शाम के करीब ४ बजे थे और मैं उसकी तरफ़ देखे जा रहा था.तभी खिलखिलाती हुई बोली, “क्यों जीजाजी, क्या चाहिए ?” मेरे मुह से निकल पड़ा, “तुम.” चौंक कर बोली, “क्या कहा ?” मैंने जवाब दिया, “मेरा मतलब तुम्हारे हाथ की एक कप ची.”ची पीकर जैसे तैसे शाम गुजरी और रात हुई. एक कमरे में ऊपर पलंग पर मर्दों को सोने के लिए कहा गया और ठीक निचे ज़मीन पर औरतों के लिए गद्दे लगाये गए. किस्मत देखिये पलंग के जिस किनारे पर मैं था, ठीक उसके निचे ज़मीन पर सबसे पहले सरला का बिस्तर था. मन में बड़ी गुदगुदी हो रही थी. लुंड था की उठे जा रहा था. मैंने ठान लिया की बच्छु आज न चूकना. बस मौका देख कर पहल कर ही देना. फिर सोचा की एक बार तोह तो लेकर देखूं. मैंने सरला से पुछा, “सरला, ये मेरा तकीया एकदम किनारे में क्यों रख दिया. पलंग पर बीच में रखती.” वोह बोली, “क्यों आप करवट बहुत ज्यादा लेते हैं ?” फिर आहिस्ते से बोली, “प्लेअसे आप मेरे ऊपर मत गिर जयीगा.” दोस्तों, उसका यह बोलने का अंदाज़ ऐसा था की कोई बेवकूफ ही समझ न पाए. फिर क्या था, मैंने चादर तानी, लुंड हाथ में लिया, और लेते हुए सबके सोने का इंतज़ार करने लगा.आख़िर रात कुछ गुजरी और थके हुए सभी लोग एक एक कर गहरी नींद में सो गए सिवाय मेरे और सरला के जो की मैं जानता था. हिम्मत जुटा कर मैं आहिस्ता से ऊपर पलंग के किनारे से उतर कर निचे ज़मीन पर सरला के बगल में लेट गया. कमरे में पहले से ही अँधेरा था. मैंने पहले उसकी चादर आहिस्ता से थोडी सी अपने ऊपर ले ली और अपने बदन ko उससे सताया मनो कह रहा हूँ की मैं आ गया. वोह चुपचाप रही और मेरी हिम्मत बढ़ी.मैंने अपना हाथ अब धीरे से उसके कमर पर रखा और उसकी नरम लेकिन गर्म गर्म निघती पर सरकाते हुए उसकी चूची पर रख दिया. वोह कुछ नही बोली. मैंने अब उसकी चूची को दबाया. वोह शांत रही. और मैं मदहोश होने लगा. लुंड खुशी के मरे फद्फदाने लगा. लुंड को मैंने उसकी गांड से चिपका दिया. और हाथ से दूसरी चूची को दबाने लगा. चाहत बढ़ी और मैंने अपने हाथों से उसकी निघती को ऊपर उठाया. अब मेरा हाथ उसके बदन पर था. हाथ को ऊपर लेट हुए और उसके नर्म नर्म बदन का मज़ा लेते हुए मैंने उसकी नंगी चुचियों को छूया. गोल और एकदम सख्त. नर्म लेकिन गरम. निप्प्ले को दबाया और कसकस कर अब मैं चुचियों को दबा रहा था. होठों से मैं उसके गर्दन को चूमने लगा. अब लुंड छोड़ने के लिए बेताब हुआ जा रहा था. आख़िर कब तक सहता. कोई आवाज़ भी नही कर सकते थे.एक हाथ मैंने उसकी गर्दन के निचे से घुसकर उसकी तनी हुई चूची पर रखा और दूसरा हाथ मैंने सरकते हुए उसकी छूट पर रख दिया. छूट पर घने बाल थे लेकिन फिर भी एकदम गीली थी. यानी चुदवाने के लिए तैयार. लुंड तो बुर में घुसने के लिए बेताब था ही. मैंने अपनी ऊँगली उसके बुर के दरार को छूते हुए अन्दर घुसा दी. उसने एक आह सी भरी. वोह भी चुदवाने को एकदम तैयार थी.उसके कान के पास मुह ले जाकर मैंने फुसफुसाकर कहा, “मैं बाथरूम जा रहा हूँ, तुम थोडी देर बाद धीरे से आ जाओ जानेमन.” आहिस्ता से उठकर दबदबे पो से मैं बाथरूम के अन्दर घुस गया और दरवाज़ा हल्का सा खुला रख इंतज़ार करने लगा. पाँच मिनट बाद सरला आयी और जैसे ही अन्दर घुसी मैंने दरवाज़ा बंद कर चिटकनी लगा दी. अब क्या था. मनो सहनशीलता का बाँध बस टूट गया. मैंने कास कर उसे अपनी बाँहों में भरा और अपने होठ उसके धधकते होठों पर रख ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा. क्या होठ थे. जैसे गुलाब की पंख्दियाँ. ऐसा तसते की बस नशा आ गया. एक हाथ से मैंने उसके बाल पकड़ रखे थे चूमते हुए और दूसरे हाथ से मैं उसकी चुचियों को निघती के ऊपर से ही मसल रहा था. मेरा लुंड पजामा के अन्दर एकदम खरा हुआ परेशान हो रहा था. एक्स्सितेमेंट होने के बाद कपड़ा बहुत बुरे लगता हैं. नंगा बदन ही अच्छा लगता है. मैंने तुंरत अपने पजामे का नादा खोल उसे हटाया. अंडरवियर निकल फेंका. टीशर्ट उतर नंगा हो गया.उसकी निघती के बटन को सामने से खोलना शुरू किया. जल्दी से उसके बदन से निघती निकली, ब्रा के हूक को पीछे से खोला, और चूमते हुए दबाते हुए, कास कास कर एक दूसरे को मसलते हुए पहले बेसब्री से उसकी नंगी आजाद चुचियों को हाथ में ले लिया. सख्त भी थी और नरम भी थी. गरम भी थी और टाइट गोल गोल भी थी. क्या कहूं बस गज़ब की चूचियां थी. दबाव तो चिटक चिटक जाए. लेकिन बहुत बहुत मज़ा आए. गहरी गुलाबी रंग की निप्प्लेस के चारो तरफ़ ब्रोव्न रंग का गोल्नुमा रोसे. सुगंध जो उसके शरीर से आ रही थी, और भी मदहोश किए जा रही थी. सेक्स का सुगंध बोला नही जा सकता. बस एन्जॉय किया जा सकता है. वोह अब भी पूरी तरह से नंगी नही थी. न्य्लों का टाइट अंडरवियर उसके बुर को छुपाये हुए था. उसे जब तय तो सरला काफ़ी शर्मा गयी और अपना मुह मेरी छाती में छुपा लिया. मेरा लंबा और फाद्फादाता हुआ लुंड उसके बदन को छूट के आस पास छूता जा रहा था. मैंने उसके थोडी को हाथों से उठाया अपनी आंखों की तरफ़. उसने अपनी आँखें बंद कर ली.मैंने उसे पलकों के ऊपर चूमा. दीवार के सहारे अपने लुंड को उसकी छूट के अगेंस्ट दबाया. उसके होठों को चूसा और चूसता ही रहा. उसकी नंगी गोल गोल मुलायम गरम सख्त सेक्सी चुचियों को खूब दबाया और मसला. आख़िर रहा नही गया और उसकी चूची को निप्प्ले सहित अपने मुह में भर लिया. उसकी दाहिनी चूची मसलते हुए, उसकी लेफ्ट चूची को मैं तसते ले कर चूस रहा था. मुझसे और रहा नही गया. मैंने मज़ा लेने के लिए उससे पुछा, “सरला रानी, तुम इतने दिन तक कहा छुपी थी ? छोड़ दूँ ?” उसने एक हाथ से मेरी पीठ को अपनी तरफ़ दबा रखा था और दूसरे हाथ से मेरे लुंड को अपने मुलायम हाथों से पकड़कर बोली, “जीजाजी, जो भी करना है, जल्दी से कीजिये.” मैंने कहा, “क्या करून ? बोलो न, जान. तुम तो एकदम मलाई हो मलाई.” उसने झट से जवाब दिया, “खा जाईये न.” “क्या क्या खाओं रानी. तुम बड़ी मस्त चीज़ हो यार.” उसने शरारती बैटन का मज़ा लेते हुए कहा, “जीजाजी जल्दी से घुसा दीजिये न.” मैंने और मज़ा लेते हुए उसके कान के पास फुसफुसाकर कहा, “क्या घुसाओं और कहाँ.” बोली, “धत, आप बहुत बदमाश हैं. मैं जा रही हूँ.”मैंने कास कर पकड़ तो रखा ही था. इन्ही बैटन में हम एक दूसरे के बदन से लिपट लिपट कर पता नही क्या क्या कर रहे थे. बस कुछ न कुछ पकड़ा पकड़ी मसला मसली चूसा चूसी चल रही थी. आख़िर मैंने कहा, “रानी, एक बार कहना पड़ेगा. सिर्फ़ एक बार. प्लेअसे.” पूछने लगी, “क्या कहूं जीजू ?” मैंने मज़ा लेते हुए कहा, “कह दो की मेरे बुर में लुंड दाल कर छोड़ दीजिये न.” उसने शर्म्माने के अंदाज़ से कहा, “चोदिये न, जीजू. और मत तदपैये.” मैंने भी देखा की अब ज्यादा देर करने में रिस्क है. मैंने अपना लुंड उसके बुर के दरार पर रगड़ते हुए एक धक्का लगाया. लुंड अन्दर घुस तो गया लेकिन मज़ा नही आया. चुदाई का मज़ा तभी है जब औरत को लिटा कर चोदा जाए. बाथरूम के फर्श पर मैंने सरला को लिटाया और उसके ऊपर चढ़ gaya. टांगों को फैलाकर अपना लुंड उअके बुर पर रखा और घुसाया.
उसने भी थोडी सी मादा की और अपने बुर से मेरे लुंड को समेत लिया. होठ चूसते हुए, चुचियों को दबाते हुए मैंने चोदना शुरू किया. वोह भी निचे से गांड उठा उठा कर चुदवाने लगी.क्या चीज़ बने है ऊपर वाले ने यह चुदाई. बहुत बहुत मज़ा आता है. जिसने चुदाई की है उसे यह पढ़कर महसूस हो रहा होगा की हम दोनों कितना स्वाद ले रहे होंगे चुदाई का. बीच बीच में छोड़ते हुए, उसकी चूची को चूस भी रहा था. चुदाई लम्बी रखने के लिए मैंने स्पीड मीडियम ही राखी. चूची चूसते हुए और भी कम. आख़िर में लुंड ने जब सिग्नल दिया की अब मैं जह्दने वाला हूँ, तब मैंने कास कास कर चुदाई ki. चोदता रहा, चोदता रहा, स्ट्रोक्स पे स्ट्रोक्स लगता रहा. और वोह उचल उचल कर चुदवाई जा रही थी. ऐसा आनंद आ रहा था की मालूम ही नही पड़ा की हम दोनों कब एक साथ झाड़ गए. जल्दी से हमने कपड़े पहने और बहार निकलने के पहले मैंने सरला को कास कर अपनी बाँहों में जकडा और चूमते हुए कहा, “सलेज साहिबा, वादा करो जब भी मौका मिलेगा तो चुद्वओगी.” “आप बहु पाजी है” कह कर वोह दबे पो चली गयी.........